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"महावीर मेरापंथ" - वास्तव में महावीर भगवान् द्वारा स्थापित धर्म से सम्बंधित सभी सम्प्रदायों को मान्य रखता है परन्तु पंथवाद का घोर विरोध करता है. इसलिए महावीर मेरापन्थ का विरोध उन उन बातों से है जो अन्य संप्रदाय की प्रचलित धर्म क्रिया का ही विरोध करते हैं और स्वयं को ही "श्रेष्ठ" घोषित करने का दावा करते हैं. साधुओं द्वारा जैन धर्म शास्त्र के आधार पर बताया जाता है. किन्तु सामान्य जैनी साधारण धरातल को भी स्पर्श नहीं कर पाए हैं. ये भ्रम पाल बैठे हैं कि जैन धर्म का पालन उनके लिए संभव नहीं है.
महावीर मेरा पंथ में आत्म कल्याण की बात विशेष है, पर जीवन के सभी पहलुओं को भी जीना है, राग विशेष से नहीं, बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण से, ताकि सामान्य जन जैनों की जीवन पद्धति से प्रभावित हों और भगवान महावीर द्वारा स्थापित सिद्धांतों को जानें और उसका पालन करने की ओर प्रेरित हो। जैन धर्म का पालन देश, क्षेत्र, काल और भाव के अनुसार करने की बात है.